vyapam case

व्यापमं घोटाला : MBBS छात्रों को SC से झटका, सामूहिक नकल के दोषी 634 छात्रों के दाखिले रद्द

What is Vyapam? Madhya Pradesh Professional Examination Board (MPPEB), popularly known by its Hindi acronym “Vyapam” (Vyavsayik Pariksha Mandal), is a self-financed and autonomous body incorporated by the State government responsible for conducting several entrance tests in the state.

What is Vyapam scandal? The scam was all about the manipulation in the selection process for government colleges and jobs conducted by the Madhya Pradesh professional examination board (MPPEB) or Madhya Pradesh Vyavsayik Pariksha Mandal (Vyapam). It involved the impersonation of candidates, rampant copying, blank answer sheets and fake marks.

What is the full form of Vyapam? Madhya Pradesh Professional Examination Board (MPPEB), popularly known as Vyapam (व्यापम; an abbreviation of its Hindi name Madhya Pradesh Vyavsayik Pariksha Mandal, व्यवसायिक परीक्शा मण्डल), is a professional examination board of Madhya Pradesh, India.

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व्यापमं घोटाला : MBBS छात्रों को SC से झटका, सामूहिक नकल के दोषी 634 छात्रों के दाखिले रद्द

सोमवार फ़रवरी 13, 2017| Source NDTV India

खास बातें

  1. सुप्रीम कोर्ट ने सामूहिक नकल के दोषी छात्रों के दाखिले रद्द कर दिये हैं
  2. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है
  3. SC को तय करना था कि सामूहिक नकल के दोषी छात्रों को राहत मिले या नहीं

नई दिल्ली: व्यापमं घोटाले से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. सर्वोच्च कोर्ट से भी सामूहिक नकल में लिप्त सभी 634 MBBS छात्रों को कोई राहत नहीं मिली. कोर्ट ने इन सभी छात्रों को राहत देने से इंकार कर दिया है. हाईकोर्ट का फैसला बरकरार करते हुए सामूहिक नकल के दोषी छात्रों के दाखिले रद्द कर दिए गए हैं. सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि सामूहिक नकल के दोषी 634 छात्रों को राहत दी जाए या नहीं.

इससे पहले 268 छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने एक दिलचस्प फैसला सुनाया था. मामले की सुनवाई कर रही बेंच ने दो अलग-अलग फैसले सुनाए. सुनवाई कर रहे जस्टिस जे चेलामेश्वर ने सभी पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद फैसला सुनाते हुए कहा कि जनता के हितों को ध्यान में रखते हुए सभी 634 छात्रों को ग्रेजुएशन पूरा होने के बाद पांच साल तक भारतीय सेना के लिए बिना किसी वेतन के काम करना पड़ेगा. पांच साल पूरे होने पर ही उन्हें डिग्री दी जाएगी. इस दौरान उन्हें केवल गुजारा भत्ता दिया जाएगा.

वहीं जस्टिस अभय मनोहर सप्रे ने हाईकोर्ट के दाखिला रद्द करने के फैसले को बरकरार रखते हुये छात्रों की अपील को खारिज कर दिया. इसके बाद मामले को तीन जजों की बेंच में भेजा गया. गौरतलब कि व्यापम मे सामूहिक नकल की बात सामने आने पर 2008-2012 के छात्रों के बैच के एडमिशन रद्द कर दिए गए थे. इसके बाद सभी छात्रों ने कोर्ट से इस मामले में दखल देने की अपील की थी.

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SC ने MP के 634 MBBS स्टूडेंट्स की व्यापमं से हुई एडमिशन प्रॉसेस रद्द की

Source: DainikBhaskar | Feb 13, 2017, 22:00 PM IST

नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश में व्यापमं घोटाले केस में सोमवार को सुनवाई की। कोर्ट ने 5 साल के MBBS कोर्स में एनरोल कराने वाले राज्य के 634 स्टूडेंट्स की एडमिशन प्रॉसेस कैंसल कर दी है। इन स्टूडेंट्स ने 2008 से 2012 के बीच में इस कोर्स में एडमिशन लिया था। फैसले से 300 की डिग्रियां रद्द हो जाएंगी। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने स्टूडेंट्स की ओर से दायर की गईं सभी पिटीशन्स रद्द कर दी हैं। बता दें कि मध्य प्रदेश का व्यापमं घोटाला एजुकेशन में अब तक का सबसे बड़ा स्कैम माना जाता है।

हाईकोर्ट के फैसले का बरकरार रखाइससे पहले हाईकोर्ट ने भी इस मामले पर एडमिशन रद्द करने का फैसला सुनाया था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है। सबसे पहले मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के जज जस्टिस जे. चेलामेश्वर ने फैसला सुनाया था कि इन स्टूडेंट्स की पढ़ाई पूरे होने के बाद 5 साल तक भारतीय सेना में काम करना होगा। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि आर्मी में काम करने के दौरान स्टूडेंट्स को सिर्फ गुजारा भत्ता दिया जाएगा। बाद में हाईकोर्ट की दूसरी बेंच ने इन सभी स्टूडेंट्स का एडमिशन रद्द कर दिया था। इस पर स्टूडेंट्स ने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन्स दायर की थीं।

कोर्ट ने क्या कहा? कोर्ट ने अपने फैसले में कहा- अपील करने वालों का बर्ताव स्वीकार नहीं किया जा सकता। ये कानून के साथ धोखा है। अगर हम सिद्धांतों और कैरेक्टर बनाने वाला देश बनाना चाहते हैं या ऐसा देश बनाना चाहते हैं जहां कानून का शासन हो तो ऐसे में इस तरह की दावों को नहीं माना जा सकता।

क्या है फैसले में? सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को व्यापमं मामले में बड़ा फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने अपने फैसले में 2008 से 2012 के बीच एडमिशन लेने वाले 634 मेडिकल स्टूडेंट्स का एडमिशन रद्द कर दिया। ये वे स्टूडेंट्स हैं, जिनके बारे में जांच में पाया गया था कि इन्होंने सॉल्वर की मदद से एंट्रेंस एग्जाम क्लियर की थी। इनमें से 300 स्टूडेंट्स की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी। यानी उन्हें अब डिग्री नहीं मिल पाएगी।

सरगनाओं पर भी कार्रवाई हो: आनंद राय, व्हिसलब्लोअर इस मामले हाईप्रोफाइल लोगों के साथ जो सख्ती दिखाई जानी थी वो सरकार और लॉ डिपार्टमेंट ने नहीं दिखाई गई। “इसमें बच्चों को बलि का बकरा बना दिया गया, जबकि आरोपी हाईप्रोफाइल लोग और ऑफिसर्स जेल के बाहर हैं।” “हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं, लेकिन इसमें बड़े लोगों और सरगनाओं पर कार्रवाई होनी चाहिए, तभी देश में एक अच्छा संदेश जाएगा।”

क्या है व्यापमं घोटाला? व्यावसायिक परीक्षा मंडल (व्यापमं) मध्य प्रदेश में उन पोस्ट पर भर्तियां या एजुकेशन कोर्स में एडमिशन करता है, जिनकी भर्तियां मध्य प्रदेश पब्लिक सर्विस कमीशन नहीं करता। व्यापमं के तहत प्री-मेडिकल टेस्ट, प्री-इंजीनियरिंग टेस्ट और कई सरकारी नौकरियों के एग्जाम होते हैं। घोटाले की बात तब सामने आई जब कॉन्ट्रैक्ट टीचर्स, ट्रैफिक पुलिस, सब इंस्पेक्टर्स की रिक्रूटमेंट एग्जाम के अलावा मेडिकल एग्जाम में ऐसे लोगों को पास किया गया, जिनके पास एग्जाम में बैठने तक की एलिजिबिलिटी नहीं थी। सरकारी नौकरियों में करीब एक हजार से ज्यादा भर्तियां और मेडिकल एग्जाम में 500 से ज्यादा एडमिशन शक के घेरे में हैं। इस घोटाले की जांच मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की निगरानी में SIT ने की। बाद में यह जांच CBI को सौंपी गई।

कैसे सामने आया था घोटाला? सबसे ज्यादा गड़बड़ियां मेडिकल टेस्ट में निकलीं सुप्रीम कोर्ट ने जिस मामले में मेडिकल की एडमिशन प्रॉसेस रद्द करने का फैसला सुनाया है, वह व्यापमं के तहत हुआ सबसे बड़ा घोटाला था। व्यापमं की ओर से हुई प्री-मेडिकल टेस्ट में गड़बड़ी के सिलसिले में कई एफआईआर दर्ज की जा चुकी थीं।

लेकिन जुलाई 2013 में यह घोटाला बड़े रूप में तब सामने आया जब इंदौर क्राइम ब्रांच ने डॉ. जगदीश सगर की गिरफ्तारी की। उसे मुंबई के पॉश होटल से गिरफ्तार किया गया था। उसके इंदौर स्थित घर से कई करोड़ रुपए का कैश बरामद हुआ था। पुलिस के मुताबिक, एमबीबीएस डिग्री रखने वाले सगर ने पूछताछ में कबूल किया कि उसने 3 साल के दौरान 100 से 150 स्टूडेंट्स को मेडिकल कोर्स में गलत तरीके से एडमिशन दिलाया था।

स्कोरर बैठाए गए थे, इसलिए हुई मेडिकल एडमिशंस की जांच 26 अगस्त 2013 को एडिशनल डीजीपी रैंक के पुलिस अफसर की अगुवाई में बनी स्पेशल टास्क फोर्स को इस घोटाले की जांच सौंपी गई। तब तक इस मामले की जांच पीएमटी भर्ती घोटाले के पहलू से ही हो रही थी। अक्टूबर 2013 में इंदौर की एक कोर्ट में पहली चार्जशीट दायर हुई।

एसटीएफ ने बताया कि 438 कैंडिडेट्स ने मेडिकल कॉलेजों में गलत तरीके से एडमिशन की कोशिश की थी।  व्यापमं के अफसरों पर आरोप है कि उन्होंने सीट अरेंजमेंट ऐसे कराई कि दूसरे राज्यों से आने वाले “स्कोरर” उन स्टूडेंट्स के पास बैठें, जिन्होंने एडमिशन के लिए पैसे दिए थे। इस मामले में व्यापमं के एग्जामिनेशन कंट्रोलर रहे पंकज त्रिवेदी को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। एसटीएफ का मानना है कि 876 स्टूडेंट्स इस घोटाले का हिस्सा रहे हैं।

जांच के दायरे में क्या शामिल था? पीएमटी के तहत एमबीबीएस, बीडीएस जैसे कोर्स में हुए एडमिशंस के अलावा पुलिस, एक्साइज, रेवेन्यू और एजुकेशन डिपार्टमेंट में 2007 से 2013 के बीच 1 लाख से ज्यादा पोस्ट पर हुई भर्ती इस घोटाले की जांच में शामिल है।

अब तक कितने लोगों की हुई मौत कांग्रेस का आरोप है कि व्यापमं घोटाले में 40 से ज्यादा मौतें हुई हैं। सरकारी आंकड़ा 27 मौतों का था। इनमें से 14 मौतें संदिग्ध हालात या बीमारी के कारण हुईं। जबकि 10 लोगों की जान सड़क हादसों के कारण हुई। 3 लोगों ने सुसाइड किया। 17 मौतों की जांच CBI भी कर रही है।

2000 से ज्यादा गिरफ्तारियां हुई थीं जांच का दायरा पीएमटी से आगे जाकर दूसरी एग्जाम्स तक फैल गया। पहले उन स्टूडेंट्स और आरोपियों की तलाश की गई, जिन्होंने एग्जाम में चीटिंग के लिए 25 लाख रुपए तक दिए थे। एसटीएफ ने 2000 से ज्यादा संदिग्धों को गिरफ्तार किया। 55 एफआईआर दर्ज कीं। 26 से ज्यादा चार्जशीट दाखिल की गईं।

कौन हैं व्हिसलब्लोअर्स?

1. आशीष चतुर्वेदी 26 साल के आशीष ग्वालियर की जीवाजी यूनिवर्सिटी से मास्टर ऑफ सोशल वर्क कर रहे हैं। उन्होंने आरटीआई अर्जियां दाखिल कर व्यापमं घोटाले से जुड़े दस्तावेजों को सामने लाया। उनका दावा है कि उन्होंने अपना पर्सनल इन्वेस्टिगेशन 2009 में शुरू किया था, जब वे अपनी मां के कैंसर का इलाज करा रहे थे। डॉक्टर्स के पास एक्सपीरियंस नहीं होने के कारण उन्हें शक हुआ और वे मामले की तह तक गए। आशीष साइकिल पर चलते हैं। उनके साथ एक पर्सनल सिक्युरिटी ऑफिसर भी साइकिल पर चलता है। आशीष ने मध्य प्रदेश पुलिस से ज्यादा सुरक्षा देने की मांग की है।

2. प्रशांत पांडे 36 साल के प्रशांत डिजिटल फोरेंसिक एक्सपर्ट हैं। अदालती दस्तावेज में इनका नाम मिस्टर एक्स के रूप में दर्ज है। जुलाई 2014 में वे व्हिसलब्लोअर के रूप में उभरे, क्योंकि उन्होंने पाया कि इस घोटाले की एसटीएफ की जांच तो उन दस्तावेजों पर टिकी है, जिनके साथ छेड़छाड़ की गई है। पांडे ने जो एक्सेल शीट पेश की थी, उसमें सीएम शिवराज सिंह चौहान के नाम का 48 बार जिक्र होने का दावा है। पांडे का आरोप है कि एसटीएफ ने उस एक्सेल शीट को माना, जिसमें सीएम का नाम नहीं था। उनके खिलाफ जांच से जुड़ी जानकारी लीक करने के आरोप में एक एफआईआर भी दर्ज हो चुकी है। मई में एक ट्रक ने उन्हें इंदौर में टक्कर मार दी थी। इस हादसे में वे बाल-बाल बचे थे।

3. आनंद राय इंदौर के मेडिकल कॉलेज के पासआउट डॉ. आनंद राय एक्टिविस्ट हैं। उन्हीं की PIL पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने जुलाई 2013 में स्पेशल इन्वेस्टिगेशन कराने के आदेश दिए थे।

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Vyapam scam: SC cancels admission of over 300 medical students

(Source Hindustan Times)

More than 300 students who entered medical colleges in Madhya Pradesh after clearing scam-tainted entrance tests cannot practise anymore after the Supreme Court cancelled their admissions on Monday in connection with the multi-crore Vyapam scandal.

A three-judge bench headed by Chief Justice JS Khehar said the case presented before it by the students warranted no interference into an earlier order by the top court under Article 142. The earlier two-judge bench had split on the future of the students with one judge recommending leniency.

But on Monday, the SC declined to show any sympathy and let the students take up medical profession despite holding their admissions illegal. The students had urged the court that they had studied hard for five years and cleared all the internal college exams.

The bench’s order came on a reference made to it by a two-judge bench, which in May 2016 struck down the admissions.

The verdict had come after revelations that the Madhya Pradesh Professional Examination Board (MPPEB), better known by its Hindi acronym Vyapam, let candidates morph photographs and send impersonators to write tests.

Considered one of India’s biggest corruption scandals, the Vyapam scam shot to nationwide notoriety in 2015 after a string of mysterious deaths of witnesses and suspects. Top state BJP leaders and ministers are accused in the multi-crore scam being probed by the Central Bureau of Investigation.

In the May 2016 decision, justice J Chelameswar held it would not be prudent to let the students waste the knowledge they had acquired so far. Saying the students were not criminals as they were juveniles when the incident happened, he asked them to serve with the army or in rural areas for five years without getting paid.

Justice AM Sapre, the other judge, disagreed. He ordered they should be completely barred.

Due to this split decision,the matter was referred to a three-judge bench that has now supported justice Sapre’s view.

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